लाख प्रसंस्करण केंद्र वन मंडल कांकेर में ज्ञान का संरक्षण एवं क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (नई दिल्ली) और एफआरएलएचटी बेंगलुरु ने दो दिवसीय परंपरागत लोक स्वास्थ्य परंपरा संवर्धन अभियान के साथ पारंपरिक वैद्य समुदाय के ज्ञान का स्वैच्छिक प्रमाणीकरण विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान वैद्य संघ ने वैद्यों को आरोग्य मितान घोषित करने की मांग की।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य वनसंरक्षक जेआर नायक, डीएफओ आरएस मंडावी, एसडीओ एमएस नाग, वैद्य संघ महामंत्री सुरेंद्र साहू, जिलाध्यक्ष मोहन मरकाम, जिला सचिव लक्ष्मण रात्रे, सह सचिव लव कुमार कुर्रे की उपस्थिति में हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की लोक स्वास्थ्य परंपरा में वैद्यों के ज्ञान का प्रमाणीकरण किया जाना है। कार्यक्रम में 275 वैद्यों ने राज्य शासन से यह मांग की है कि इस प्रमाणीकरण योजना के खर्च जिला प्रशासन के माध्यम से किया जाए और कुपोषण मुक्त कांकेर जिले में हर्बल फूड सप्लीमेंट्री उत्पादों की अनुशंसा की जाए, ताकि स्थानीय पारंपरिक वेदों को रोजगार के अवसर मिले। जड़ी-बूटी की कृषि को बढ़ावा मिल सके, जिससे पारंपरिक वैद्यों को वन औषधि के संरक्षण संग्रहण का संपूर्ण ज्ञान रहे पीढ़ी दर पीढ़ी जनभागीदारी योजना का क्रियान्वयन सफल हो सके।
कांकेर। अन्नपूर्णापारा में जिला कार्यालय का उद्घाटन करते प्रांतीय सचिव।
वैद्य संघ के जिला कार्यालय का भी हुआ शुभारंभ
वैद्य संघ के प्रांतीय सचिव निर्मल कुमार अवस्थी ने कहा कि सुदूर ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सुविधा सदियों से उपलब्ध कराने वाले पारंपरिक वैद्यों को आरोग्य मितान घोषित किया जाए। ताकि छत्तीसगढ़ राज्य की लोक स्वास्थ्य परंपरा का निरंतर संवर्धन संरक्षण होता रहे और नई पीढ़ी इसे अपनाने के लिए आगे आए। इस मौके पर पारंपरिक वन औषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ का अन्नपूर्णापारा में जिला कार्यालय का शुभारंभ किया गया। कार्यशाला का समापन वन मंडल अधिकारी आरएस मंडावी, प्रांतीय कोषाध्यक्ष अवधेश कुमार कश्यप, धनराज कुलदीप की उपस्थित में हुआ।