अंत:करण को पवित्र करने को ज्ञान की आवश्यकता

अंत:करण को पवित्र करने को ज्ञान की आवश्यकता

संवाद सहयोगी, सुंदरबनी : पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर 1008 विश्वात्मानंद सरस्वती जी महाराज ने रविवार को निíमत ज्ञान गंगा आश्रम शिवकाशी के पंडाल में श्रद्धालुओं को अपने प्रवचनों से निहाल किया। इस दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

अपने प्रवचनों की मधुर वाणी से ओतप्रोत करते हुए स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य का तन जितना मर्जी पवित्र हो, परंतु अंत:करण को पवित्र करने के लिए ज्ञान के प्रकाश की आवश्यकता होती है। इसके लिए मनुष्य को जीवन में प्रयास करना चाहिए। उन्होंने बताया कि तन को साफ करने के लिए मिट्टी, साबुन अथवा कई प्रकार की वस्तुओं का इस्तेमाल हो सकता है, परंतु मन की मैल साफ करने के लिए मात्र परमात्मा के ज्ञान की आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा कि पूरे ब्रह्मांड में शिव में ही सभी देवी-देवता विद्यमान हैं। जिसको देखते हुए शिव भगवान की आराधना करनी चाहिए, जो मोक्ष की अधिकारी बनाती है। थोड़ा भी ईश्वर का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति की बुद्धि हमेशा उसे उचित कार्य करने की आज्ञा देती है। उन्होंने कहा कि अज्ञानी पुरुष इस संबंध में कुछ सोच भी नहीं सकता, जिसको देखते हुए जन्म के बंधन से मुक्ति पाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। ऐसे परमात्मा रूपी ज्ञान को ग्रहण करना चाहिए। कथा के अंत में मधुर आरती का गुणगान हुआ और स्वामी जी ने सभी भक्तों को आशीर्वाद दिया।

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