सत्संग और ध्यान से पापों से मिलती है मुक्ति : आचार्य हरिनंदन बाबा

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भागलपुर [जेएनएन]। स्थानीय कुप्पा घाट स्थित महर्षि मेंही आश्रम में आचार्य हरिनंदन बाबा का 85वां जन्मदिन मनाया गया। आचार्य ने कहा कि संत दूसरों के उपकार के लिए संसार में आते हैं। सत्संग और ध्यान से पापों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन 84 लाख योनियों के बाद मिलता है। मानव शरीर पाने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। अत: व्यर्थ में जीवन को बर्बाद नहीं करना चाहिए। इसे ईश्वर की भक्ति और मानव की सेवा में लगानी चाहिए। जन्म और मरण से मुक्ति ईश्वर की भक्ति से ही मिल सकती है। संतमत का ज्ञान यही कहता है कि गुरू की शरण में जाओ और उनके बताए हुए मार्ग पर चलो। भगवान का भजन करने से इहलोक और परलोक दोनों सुधर जाएंगे।

मुख्य अतिथि केंद्रीय रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नंद कुमार इंदू ने कहा कि भारत में गुरू-शिष्य की परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है। अत: विश्व में भारत का स्थान एक नंबर पर है। देश की पहचान भी संत परंपरा से है। हजारों वर्षों से संत-महात्मा गंगा नदी के तट पर तपस्या करते आए हैं। उन्होंने कहा कि संतों की वजह से ही धरती बची हुई है। संतों का ज्ञान अनमोल है। इसे अनपढ़ भी अपना सकते हैं। संतों के बताए मार्गों पर चलने से दुख नहीं होता। गुरु प्रसाद ने कहा कि संतों के बताए मार्गों पर चलने से ही शांति स्थापित होगी। इस अवसर पर आमोद कुमार मिश्रा, अभयकांत झा, पूर्व महापौर डॉ. वीणा यादव से भी विचार दिए। एसके मेहता, सुरेश कुमार, राजेंद्र मेहता, चंद्रशेखर, ललन, वीरेन्‍द्र पंडित आदि उपस्थित थे।

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