लखनऊः आरटीई ने दिलवाया शहर के स्कूलों में मुफ्त पढ़ने का मौका, बने टॉपर

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राइट टू एजुकेशन के तहत गरीब बच्चों को शहर के बड़े स्कूलों में जब पढ़ने का मौका मिला तब किसी ने नहीं सोचा कि ये बच्चे कार से आने वाले बच्चों से मुकाबला कर पाएंगे लेकिन उन्होंने टॉप कर यह साबित कर दिया कि प्रतिभा सुविधाओं की मोहताज नहीं होती।

लखनऊ
पांच साल पहले जब शहर में राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में गरीबों के बच्चों के दाखिले शुरू हुए तब किसी ने ये सोचा भी नहीं था कि साइकल से स्कूल आने वाले ये बच्चे शायद ही कार से आने वाले बच्चों का मुकाबला कर पाएंगे, लेकिन कहते हैं कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। कुछ ऐसा ही इन बच्चों ने कर दिखाया है। शहर के स्कूलों में इन बच्चों ने मुफ्त दाखिला पाकर न सिर्फ खुद को साबित किया बल्कि सभी को पछाड़ते हुए टॉप भी किया। इनमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला रिजल्ट पायनियर मॉन्टेसरी स्कूल राजेंद्र नगर का रहा। यहां क्लास एक में टॉप थ्री पोजीशन पर आरटीई के बच्चे ही काबिज हैं।

टॉपर बने भाई
पायनियर मॉन्टेसरी स्कूल राजेंद्र नगर में आरटीई के तहत दाखिला पाने वाले अली अहमद ने कक्षा दो में टॉप किया है, जबकि छोटा भाई अहमद अब्दुल्लाह कक्षा एक में सेकंड टॉपर है। अली के पिता जावेद अहमद बिजली की दुकान में काम करते हैं। जावेद बताते हैं, उनकी मासिक आय महज छह हजार ही है। ऐसे में वो कभी निजी स्कूल में दोनों बच्चों को नहीं पढ़ा पाते। आरटीई की वजह से आज मेरा बच्चा इतनी अच्छी शिक्षा पा रहा है। मैं अली को आईएएस ऑफिसर, जबकि अब्दुल्ला को वैज्ञानिक बनाना चाहता हूं।

स्कूल के सहयोग से मिली सफलता 

पायनियर मॉन्टेसरी स्कूल राजेंद्र नगर में ही सक्षम सैनी ने कक्षा एक में टॉप किया है। सक्षम के पिता सुधीर सैनी फूलों की सजावट का काम करते हैं। पिता सुधीर बताते हैं कि राइट टू एजुकेशन की वजह से आज बच्चे को बेहतर शिक्षा मिल रही है। स्कूल ने भी काफी सहयोग किया और हमारे बच्चों पर खूब मेहनत की। सक्षम को वायु सेना में दिलचस्पी है, इसलिए मैं उसे एयरफोर्स का अफसर बनाना चाहता हूं।

बच्ची को डॉक्टर बनाने का सपना
पायनियर विकासनगर में अश्रेया नायक का पिछले साल नर्सरी में दाखिला हुआ था। अश्रेया ने क्लास में सेकंड पोजीशन हासिल की है। मां शालिनी नायक बताती हैं कि मैं एक हाउस वाइफ हूं, जबकि मेरे पति रवि नायक एक निजी जॉब करते हैं। हमारी इतनी आय नहीं थी कि हम निजी स्कूल में दाखिला करवा सकते, इसलिए हमने आरटीई के तहत आवेदन किया। मेरी बच्ची ने क्लास में सेकंड टॉप किया है। अब मैं अपनी बच्ची को डॉक्टर बनाना चाहती हूं।

निजी स्कूल में पढ़ाना सपना, आरटीई ने बनाया हकीकत 
विवेक खंड के महामना मालवीय इंटर कॉलेज में कक्षा एक में सुधीर अवस्थी ने टॉप किया है। सुधीर के पिता मदन अवस्थी गार्ड की नौकरी करते हैं, जिनकी सैलरी महज छह हजार रुपये है। पिता मदन बताते हैं कि अगर आरटीई के तहत दाखिला न मिलता तो मेरा बच्चा किसी सरकारी स्कूल में पढ़ रहा होता। निजी स्कूलों में पढ़ाना हम लोगों के लिए बस एक सपने जैसा था, जो आरटीई ने हकीकत में बदल दिया है। मैं अपने बच्चे को अफसर बनाना चाहता हूं।

अगर सरकार आरटीई को सही से लागू करे। समय से स्कूलों को पैसा दे और प्रवेश न लेने वाले स्कूलों पर कार्रवाई करे तो ऐसे ही परिणाम देखने को मिलेंगे। -समीना बानो, आरटीई एक्टिविस्ट


क्लास एक में सभी तीन टॉपर्स आरटीई के तहत दाखिला पाने वाले ही हैं। क्लास में कुल 52 छात्र हैं, जिसमें पांच से छह छात्र आरटीई के तहत आए थे। क्लास में सभी का प्रदर्शन बहुत अच्छा है। -ऊषा सूरी, प्रिंसिपल, पायनियर राजेंद्र नगर

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